हार्डवेयर क्या है?( What is hardware in hindi)

 हार्डवेयर क्या है (What is  hardware in hindi )- 

कम्प्यूटर के भाग जिन्हें हम देख सकते हैं और स्पर्श कर सकते हैं अर्थात यांत्रिक विद्युत तथा इलेक्ट्रॉनिक भाग कम्प्यूटर हार्डवेयर के नाम से जानते हैं कंप्यूटर हार्डवेयर को ही कम्प्यूटर  भाग के नाम से जाना जाता है।

सॉफ्टवेयर क्या है इसका प्रयोग कैसे होता है-

सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गए निर्देशों अर्थात प्रोग्रामों के वह श्रृंखला होते हैं जो कंप्यूटर सिस्टम के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कंप्यूटर के विभिन्न हार्डवेयरो के बीच समन्वय स्थापित करता है ताकि किसी विशेष कार्य को पूरा किया जा सके इस का प्राथमिक उद्देश्य डाटा को सूचना में परिवर्तित करना है सॉफ्टवेयर के निर्देशों के अनुसार हार्डवेयर कार्य करता है इसे प्रोग्रामों का समूह भी कहते हैं।
दूसरे शब्दों में कंप्यूटर में सैकड़ों की संख्या में प्रोग्राम होते हैं जो अलग-अलग कार्यों के लिए लिखे या बनाए जाते हैं इन सभी प्रोग्रामों के समूह को सम्मिलित रूप से सॉफ्टवेयर कहा जाता है।

सॉफ्टवेयर के प्रकार है? 


सॉफ्टवेयर को उसके कार्यों तथा संरचना के आधार पर दो भागों में विभाजित किया गया है।

(1) सिस्टम सॉफ्टवेयर (system software)-

जो प्रोग्राम कंप्यूटर को चलाने तथा उनको नियंत्रित करने उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने तथा उसकी सभी क्षमताओं का अच्छे से उपयोग करने के लिए लिखे जाते हैं उनको सम्मिलित रूप से सिस्टम सॉफ्टवेयर कहा जाता है कंप्यूटर से हमारा संपर्क किया संवाद सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही हो पाता है दूसरे शब्दों के कंप्यूटर हमेशा सिस्टम सॉफ्टवेयर के नियंत्रण में ही रहता है जिसकी वजह से हम सीधे कम्प्यूटर से अपना संपर्क नहीं बना सकते सिस्टम सॉफ्टवेयर में प्रोग्राम शामिल होते हैं जो कम्प्यूटर सिस्टम को नियंत्रित करते हैं और उसके विभिन्न भागों के बीच उचित तालमेल बनाकर कार्य करते हैं।

(a)  ऑपरेटिंग सिस्टम - (Operating System )

इसमें  वे प्रोग्राम शामिल होतेे हैं जो कंप्यूटर के विभिन्न  अवयव केे कार्यों को नियंत्रित करते हैं उनमें  स्थापित करते हैं तथाा उन्हें प्रतिबंध करते हैं। इसका प्रमुख कार्य उपयोगकर्ता तथा हार्डवेयर के मध्यय एक स्थापित  करना है । ऑपरेटिंग सिस्टम कुछ विशेष प्रोग्रामो  का ऐसा व्यवस्थित समूह है जो किसी कम्प्यूटर के संपूर्ण क्रियाकलापों को नियंत्रित रखता है ऑपरेटिंग सिस्टम आवश्यक होने पर अन्य प्रोग्रामों को चालू करता है विशेष सेवाएं देनेे वाले प्रोग्राम का मशीनी भाषा में अनुवाद करता है और उपयोगकर्ताओं की इच्छा के अनुसार आउटपुट निकालने के लिए डाटा काा प्रबंधन करता है।

 उदाहरण-  एमएस डॉस विंडोज एक्स पी/ 2000 /98 यूनिक्स लाइनेक्स इत्यादि ऑपरेटिंंग सिस्ट्म के उदाहरण है।

(b) डिवाइस ड्राइवर (device driver)

एक प्रकार केेेे सॉफ्टवेयर होते हैं जो किसी डिवाइस के प्रचालन को समाझते हैं। यह सॉफ्टवेयर किसी युक्ति तथा यूजर के मध्य इंटरफ़ेस का कार्य करते हैं किसी भी व्यक्ति को सुचारू रूप से चलाने के लिए चाहे सक्षम होते हैं।

 जैसे- प्रिंटर माउस मॉनिटर या कीबोर्ड ही हो उसके साथ एक ड्राइवर प्रोग्राम जुड़ा होता है। डिवाइस ड्राइवर्स निर्देशोंं का ऐसा समूह होता है जो हमारे कम्प्यूूटर का परिचय उससे जुड़ने वाले हार्डवेयर सेे  करवाते हैं।


(c) भाषा अनुवादक (language translator)

यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो विभिन्न प्रोग्रामिगं  भाषाओं में लिखे गए प्रोग्रामों  अनुवाद करना इसलिए आवश्यक होता है क्योंकि कम्प्यूटर  केवल अपनी मशीनी भाषा मेंं लिखे हुए प्रोग्राम का ही पालन कर सकता है।

भाषा अनुवादकनको  को मुख्यतः तीन श्रेणी में विभाजित किया गया है।


(a) असेंबलर (assembler) यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो असेंबली भाषा मेंं लिखे गए किसी प्रोग्राम को पड़ता है असेंबली भाषा के प्रोग्राम को सोर्स प्रोग्राम कहा जाता है इसका मशीनी भाषा में अनुवाद करनेे के बात जो प्रोग्राम प्राप्त होताा है उसे ऑब्जेकट प्रोग्राम कहा जाता है। 

(b)  कंपाइलर (compiler) - यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो किसी प्रोग्राम द्वारा ऊंच स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गए सोर्स प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा में करता है कंपाइलर सोर्स प्रोग्राम के प्रत्येक कथन या निर्देश का अनुवाद करके उसे मशीनी भाषा के निर्देशों में बदल देता है प्रत्येक उच्च स्तरीय भाषा के लिए अलग कंपाइलर की आवश्यकता होती है। 


(c) इंटरप्रेटर (interpreter) यह किसी प्रोग्राम द्वारा उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गए सोर्स प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषाा में करताा है परंतु यह एक बार में सोर्स प्रोग्राम के केवल एक लाइन को मशीनी भाषा में अनुवाद करता है और उनका पालन कराता है। इनका पालन हो जाने के बाद ही वह सोर्स प्रोग्राम के अगले लाइन का मशीनी भााषा में अनुवाद कराता है।
मूलतः कंपाइलर और इंटरप्रेटर का कार्य समान होता है अंतर केवल है कि कंपाइलर जहां ऑब्जेक्ट प्रोग्राम बनाता है यही इंटरप्रेटर कुछ नहीं बनाता इसलिए इंटरप्रेटर का उपयोग करते समय हर बार सोर्स प्रोग्राम की आवश्यकता पड़ती है।
इंटरप्रेटर का काम केवल लाइन बाई लाइन ट्रांसलेट करता है।

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application software)-


एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर उन पग्रामों को कहा जाता है जो हमारा निजी कार्य कराने के लिए लिखे जाते हैं जैसे कार्यालय के कर्मचारियों के वेतन की गणना करना सभी लेनदेन तथा खातों का हिसाब किताब रखना भी विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट छापना स्टॉक की स्थिति का विवरण देना पत्र दस्तावेज तैयार करना इत्यादि।
आजकल ऐसे प्रोग्राम प्रोग्राम सामान्य तौर पर सबके लिए एक जैसे लिखे हुए भी आते हैं जिन्हें रेडीमेड सॉफ्टवेयर या पैकेज कहा जाता है। जैसे एमएस वर्ड एमएस एक्सल टैली कोरल ड्रा पेजमेकर फोटोशॉप आदि आतेे हैं। इन्हें एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कहे जाते हैं।


(1) समान उद्देश्य सॉफ्टवेयर -प्रोग्रामों का वह समूह जिन्हें यूज़र अपनी आवश्यकतानुसार अपने सामान्य उद्देश्य की पूर्ति के लिए उपयोग मे आते हैं।

समान उद्देश्य के सॉफ्टवेयर कहलाते हैं। उदाहरण ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर स्प्रेडशीट डेटाबेस प्रबंधन।


(2) विशिष्ट उद्देश्य सॉफ्टवेयर (specifie purpose software) यह सॉफ्टवेयर किसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु बनाए जाते हैं इस प्रकार केेे सॉफ्टवेयर का अधिकांंशतः केवल एक उद्देश्य होता है सामान्य्य रूप  से उपयोग किए जाने वाले कुछ विशिष्ट उद्देश्य सॉफ्टवेयर निम्न है।

(a)  इन्वेंटी मैनेजमेंट सिस्टम एंण्ड पचेजिग सिस्टम (inventory management system and and purchasing system) 

(b) पेरौल मैनेजमेंट सिस्टम (payroll management system)

सिस्टम यूटिलिटीज (system utilities)-

ये प्रोग्राम कंप्यूटर के रखरखाव से संबंधित कार्य करते हैं ए प्रोग्राम से कंप्यूटर के कार्यों को सरल बनाने उसे अशुद्धियों से दूर रखने तथा सिस्टम के विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए बनाए जाते हैं ।यूटिलिटी प्रोग्राम कई ऐसे कार्य करते हैं जो कंप्यूटर का उपयोग करते समय हमें कराने पड़ते हैं उदाहरण के लिए कोई यूटिलिटी प्रोग्राम हमारी फाइलों का बैकअप किसी बाहरी भंडार साधन पर लेने का कार्य कर सकता है।    

यूटिलिटी सॉफ्टवेयर निम्न प्रकार के होते हैं?

(a) डिस्क कम्प्रेशन (disc compression) - ये हार्ड डिस्क पर उपस्थित सूचना पर दबाव  डालकर उसे संकुचित कर देता है ताकि हार डिस्को बा

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